मन और स्थान से होती है कविता की उत्पत्ति - प्रांजुला सिंह*
*ऊंच-नीच में क्या रखा है ,आकाश तो एक है* , प्रांजुला सिंह ने रेडियो चस्का पर पढी कविता।
*मन और स्थान से होती है कविता की उत्पत्ति - प्रांजुला सिंह*
*ग्वालियर* ग्वालियर की ऐतिहासिक धरोहर बेहद समृद्ध रही है, फिर बात साहित्य की हो या संगीत की। ग्वालियर घराने की खुली गायकी, यहां जन्म लेने वाली साहित्य की नई धाराएं पूरी दुनिया में शहर का नाम रोशन करती रही हैं। इसी धरोहर को आगे बढ़ाते हुए शहर ही नहीं देश व विदेश में भी अपनी कला का प्रदर्शन कर अपनी कला से सबको अचंभे में डालने वाली ग्वालियर की शान प्रांजुला सिंह पहुंची रेडियो चस्का 95 एफ एम के स्टूडियो पर।
लाइव टॉक शो आरजे मुस्कान द्वारा लिया गया जिसमें शहर की जनता ने ढेरों कॉल्स किए और प्रांजुला को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। टॉक शो के दौरान प्रांजुला ने अपनी जीवन की यात्रा के बारे में बताया कि किस तरह से उन्होंने शुरुआत की लेखन की और समय के साथ साथ किस तरह से लेखन में बदलाव आया । उन्होंने बताया, कि बड़ों का आशीर्वाद हमेशा उनके साथ रहा जिससे वह आगे बढ़ पाई और इस मुकाम तक पहुंच पाई। उनका कहना है ,कि कविता को लिखने के लिए मन और स्थान कविता के अनुसार होना चाहिए कवि को हमेशा अपनी भावनाओं को ध्यान में रखकर ही कविता लिखनी चाहिए जिससे उस कविता में जान भर जाए।
साथ ही उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पहली कविता की रचना मात्र 13 वर्ष की आयु में की थी। और अभी तक वह है 800 कविताएं लिख चुकी हैं। उनकी अभी हाल ही में एक ऑनलाइन किताब लॉन्च हुई है, जिसका सारांश है *स्पार्कल लाइफ इज पोएट्री*। जिसके विषय में भी बताते हुए कहती हैं कि इस किताब में 23 कविताएं हैं जो की पूरी तरह सकारात्मक भावनाओं से भरी हुई है। क्योंकि लॉक डाउन के दौरान बहुत से व्यक्तियों के जीवन में नकारात्मक चीजों ने प्रवेश किया उसी को ध्यान में रखते हुए यह किताब लिखी गई जिसको पढ़ कर अवश्य ही व्यक्ति के जीवन में खुशहाली और सकारात्मक भावनाओं की उत्पत्ति होगी।
*शो के दौरान कविता सुना कर श्रोताओं को किया प्रोत्साहित*
प्रांजुला ने शो के दौरान अपनी कुछ कविताओं को शहर के श्रोताओं के सामने रखा । अंग्रेजी भाषा में *शाइन* व हिंदी भाषा में *दिल्ली का रिक्शावाला* कविताएं लिखकर व पढ़कर उन्होंने शहरवासियों का दिल जीत लिया। आगे पढ़ें