इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) में शामिल मुस्लिम देशों के बीच अपनी आवाज कमजोर होने से पाकिस्तान की बौखलाहट साफ नजर आने लगी है। पाकिस्तान लंबे समय से ओआईसी से जुड़े देशों को कश्मीर के सवाल पर एक होकर आवाज उठाने की बात करता रहा है।
दिसंबर में होने वाली इस्लामिक देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले पाकिस्तान लगातार ओआईसी से कश्मीर के सवाल पर तत्काल बैठक बुलाने की मांग करता रहा है। लेकिन सउदी अरब इस सवाल पर पाकिस्तान के साथ नहीं दिख रहा है और नहीं चाहता कि ओआईसी की बैठक में कश्मीर के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाए।
आगामी नौ फरवरी को ओआईसी के वरिष्ठ अधिकारियों की एक बैठक जेद्दाह में होने जा रही है जिसमें दिसंबर में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक की तैयारियों और एजेंडे पर चर्चा होगी। ओआईसी से जुड़े राजनयिक सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि सउदी अरब कश्मीर के मसले पर तत्काल बैठक बुलाने के पक्ष में नहीं है और इमरान खान की बात को गंभीरता से नहीं ले रहा है। पाकिस्तान ने ओआईसी के इस रुख पर नाराजगी जताई है।
इमरान खान ने हाल ही में मलेशिया के दो दिनों के दौरे के दौरान कश्मीर के मुद्दे को बेहद गंभीर बताते हुए मुस्लिम देशों को एक होने और इस्लामिक सहयोग संगठन से जुड़े देशों को इसे मजबूती से उठाने को कहा था।
इमरान खान ने बेहद बौखलाहट के साथ कहा था कि दुनियाभर में मुसलमानों की संख्या सवा अरब से भी ज्यादा होने के बावजूद तमाम देशों में वे तमाम तरह की मुश्किल, उपेक्षा और नफरत सह रहे हैं। इमरान ने सवाल उठाया कि क्या ऐसे समय में मुस्लिम देशों को एक होने की जरूरत नहीं है। दुनियाभर में मुसलमान इसलिए तकलीफ और उपेक्षा झेलने को इसलिए मजबूर हैं क्योंकि हमारी कोई आवाज़ नहीं है और हम पूरी तरह विभाजित है।
इमरान खान ने ओआईसी पर निशाना साधा है और कहा कि जब कश्मीर या म्यांमार में मानवाधिकारों के हनन जैसे सवाल पर बैठक नहीं हो सकती, इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया जा सकता तो ऐसे में इस्लामिक सहयोग संगठन का क्या मतलब रह जाता है। इमरान पर आरोप है कि वह कश्मीर के सवाल पर इस्लामी देशों का एक अलग संगठन बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
कश्मीर पर ओआईसी बैठक के लिए पाक की नहीं सुन रहा सऊदी
हर मोर्चे पर पाकिस्तान का साथ देने वाला सऊदी अरब जम्मू-कश्मीर के मामले में अपने इस पुराने सहयोगी के साथ खड़ा होता नहीं दिखाई दे रहा है। पाकिस्तानी समाचार पत्र डॉन में बृहस्पतिवार को पेश रिपोर्ट के मुताबिक, कश्मीर के मुद्दे पर सऊदी अरब के नेतृत्व वाले इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की तत्काल बैठक बुलाने की पाकिस्तान की मांग रियाद की अनिच्छा के चलते ही खारिज हो गई है।
डॉन की यह रिपोर्ट ओआईसी के वरिष्ठ अधिकारियों की 9 फरवरी को जेद्दाह में होने वाली बैठक से ठीक पहले आई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में ओआईसी देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक (सीएफएम) की तैयारियों पर चर्चा होनी है। लेकिन सऊदी अरब इस बैठक के आयोजन को लेकर तैयार नहीं दिखाई दे रहा है। बता दें कि दुनिया के 57 मुस्लिम देशों की मौजूदगी वाले ओआईसी को सबसे बड़ा इस्लामी प्रतिनिधित्व माना जाता है।
साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र के बाद भी दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा संगठन है। अमूमन ओआईसी में कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान को समर्थन मिलता रहा है, लेकिन माना जा रहा है कि भारत में अपने बढ़ते निवेश को देखते हुए सऊदी अरब की तरफ से अब थोड़ी ढील बरती जा रही है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने पिछले महीने मलेशिया दौरे के दौरान कश्मीर मुद्दे को लेकर अपनी हताशा भी जाहिर की थी।
दिसंबर में सहमति जताई थी सऊदी अरब ने
दिसंबर में सऊदी अरब की तरफ से ओआईसी के सदस्य 57 मुस्लिम देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक बुलाने पर सहमति जताई गई थी। दरअसल यह घोषणा पाकिस्तान की तरफ से सऊदी अरब के कहने पर मलेशिया में आयोजित हो रहे मुस्लिम देशों के सम्मेलन से गायब हो जाने के बाद की गई थी। इस सम्मेलन को सऊदी अरब ओआईसी के समानांतर मुस्लिम देशों का नया संगठन खड़ा करने की कोशिश मान रहा था। पाकिस्तान के इस कदम के चलते ही ओआईसी बैठक बुलाने की घोषणा को सऊदी राज परिवार की तरफ से अपने लंबे समय के सहयोगी को खुश करने के लिए उठाया गया कदम माना गया था।
कई प्रस्ताव दे चुका है पाकिस्तान
पाकिस्तान पिछले साल 5 अगस्त को भारत की तरफ से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी करने और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद से ही ओआईसी में यह मुद्दा उठाने का प्रयास कर रहा है। पिछले साल के अंत में न्यूयार्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर कश्मीर पर पाकिस्तान ने सहयोगी देशों की बैठक की थी, लेकिन सीएफएम पर बात आगे नहीं बढ़ सकी।
हालांकि पाकिस्तान सीएफएम बैठक कई प्रस्ताव पेश कर चुका है, जिनमें मुस्लिम देशों का एक संसदीय फोरम या संसद अध्यक्षों की बैठक और फलस्तीन व कश्मीर के मुद्दे पर संयुक्त बैठक के आयोजित करने जैसे प्रस्ताव शामिल हैं। लेकिन अभी तक उसे सफलता नहीं मिली है।